Posts

Showing posts from December, 2017

करौली यदुवंशियों के प्राचीन दुर्ग मंडरायल का ऐतिहासिक शोध-----

Image
करौली  यदुवंशियों के प्राचीन दुर्ग मंडरायल  का ऐतिहासिक शोध-----  ‎मंडरायल का दुर्ग पूर्व-मध्यकाल का एक प्रसिद्ध दुर्ग रहा है।यह किला मध्यप्रदेश एवं राजस्थान के सीमांत प्रदेश पर स्थित है।चम्बल नदी के किनारे यह एक उन्नत पहाड़ी के शिखर भू-भाग पर स्थित है।इसका  निर्माण लाल पत्थरों से हुआ है।यह वन प्रदेश का पहाड़ी दुर्ग है।दुर्ग में ऐसा कुछ भी नहीं मिलता जिससे निर्माण तिथिपर प्रकाश डाला जा सके।  ‎  ‎बयाना  के महाराजा विजयपाल के पुत्र मदनपाल जी ने कराया था मंडरायल दुर्ग का निर्माण ----  जागाओं की पोथी में लिखे लेख के अनुसार इस मंडरायल दुर्ग का निर्माण बयाना के राजा विजयपाल की मृत्यु के बाद उनके पुत्र दूसरे क्षेत्रों में पलायन करके बस गये । बयाना के महाराजा विजयपाल के एक पुत्र मदनपाल(मण्डपाल) ने मंडरायल को आबाद किया और वहां एक किले का निर्माण सम्वत 1184 के लगभग करवाया था जो आज भी खंडहर स्थित में मौजूद है।मेडिकोटोपो ग्राफिकल गजेटियर के अनुसार भी इस दुर्ग का निर्माण किसी यदुवंशी जादों राजा ने ही करवाया था ।जिससे  राजा मण्डपाल की ही सम्भाव...

करौली राज्य के प्राचीन दुर्ग उतगिरि का ऐतिहासिक शोध एवं करौली के यदुवंशी जादौन राजपूतों का सिकन्दर लोदी से खूनी-संघर्ष-----

Image
करौली राज्य के प्राचीन दुर्ग उतगिरि का ऐतिहासिक शोध एवं  करौली के यदुवंशी जादौन राजपूतों का सिकन्दर लोदी से खूनी-संघर्ष-----  करौली क्षेत्र में उतगिरि के किले को मध्यकालीन राजपूताने के विशाल दुर्गों में माना जाता है ।यह दुर्ग घने जंगल के भीतरी भाग में स्थित है ।दुर्ग के आस -पास कोई भी  वस्ती की बसावट नहीं है।जंगली क्षेत्र को पार करके दुर्ग तक पहुंचना बड़ा दुष्कर व कठिन कार्य है।जंगली जानवरों का भी डर रहता है इस बजह से इस विशाल दुर्ग पर अधिक शोधकार्य भी नहीं हो पाया जिसकी बजह से इस दुर्ग के विषय में कम जानकारी है । स्थानीय मान्यताओं के अनुसार इस दुर्ग का निर्माण लोधी जाति के लोगों ने करवाया था ।इस जाति के लोग बीहड़ पहाड़ी चम्बल किनारे वाले इस क्षेत्र पर लम्बे समय से ही कब्जा किये हुए थे ।उन्होंने ही समय-समय पर यहां पर बांध और तालाब बनवाये। मुगल इतिहासकारों ने उतगढ़ को भिन्न -भिन्न नामों से लिखा है जैसे  उदितनगर ,उन तगर,अवन्तगर, उटनगर, उटगर ,अवन्तगढ़ , अंतगढ़ और अनुवंतगढ़ है।इसका वास्तविक  या शुद्ध नाम उतगढ़ या अवन्तगढ़ है।मुगल इतिहासकारों ने सुल्तानेत काल का इ...

करौली के जादौन राजपूतों के सपोटरा दुर्ग का इतिहास-

Image
 करौली के जादौन राजपूतों के सपोटरा दुर्ग का इतिहास----- सपोटरा प्रायः करौली जिले की तहसील है जो करौली से पश्चिम में लगभग48 किमी 0पर है।करौली राज्य के जागीरदारों के गाँव प्रायः इसी भाग में है ।सपोटरा का दुर्ग करौली के महाराजा  धर्मपाल जी दुतीय के वंशज राव उदयपाल ने बनबाया था जो महाराजा रतनपाल जी के पुत्र थे ।राव उदयपाल जी को सपोटरा ठिकाना दिया गया और उनके भाई  महाराजा कुंवरपाल जी करौली के वि0 सं0 1745 या ई0 सन 1688ई0 में गद्दी पर बैठे।लगभग इसी समय के आस -पास उदयपाल जी को सपोटरा ठिकाना दिया गया होगा और इसके बाद सपोटरा में दुर्ग बनवाया गया होगा ।ये जीरोता से लगभग 11 किमी0 पूर्व में है।इस दुर्ग में उस समय 50 लोग रहते थे ।इसमें एक खूबसूरत तालाब भी बना हुआ है ।यहाँ के जोगी लोग उस समय बारूद बनाते थे जो बूँदी व कोटा राज्यों में भेजी जाती थी ।आजकल यहां मीना समाज की बहुतायत है जो यहां के जमींदार भी है ।यहां पर जल स्तर काफी ऊंचा बताया जाता था । मैं ,  तहे दिल से विक्की सिंह जादौन , ठिकाना सपोटरा का धन्यवाद व आभार व्यक्त करता हूँ जिनकी मदद से मुझे सपोटरा के दुर्ग के फोटो प...