विस्मृत चन्द्रवंशीय यदुवंशी क्षत्रियों के शौर्यता वीरता , हिंदुत्व-प्रेम एवं राष्ट्रवादिता के प्रतीक विजयनगर नगर साम्राज्य की गौरव -गाथा--
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विस्मृत चन्द्रवंशीय यदुवंशी क्षत्रियों के शौर्यता वीरता , हिंदुत्व-प्रेम एवं राष्ट्रवादिता के प्रतीक विजयनगर नगर साम्राज्य की गौरव -गाथा-- चौदहवी शताब्दी के मध्य में तुंगभद्रा से लेकर रामेश्वर तक यदुवंश की शाखा होयसल वंश की तूती बोल रही थी ।सम्राट वीर बल्लाल तृतीय ने समस्त दक्षिण पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था ।केवल नाम के लिए मुसलमान जनता मालाबार (तामिल देश ) में निवास करती थी।इब्नबतूता ने सन 1342 ई0 में बल्लाल तृतीय की शक्ति को देखा था , परन्तु इस प्रतापी राजा के मदुरा युद्ध में विजयी होने पर भी धोखे से मुसलमानी सेना ने इसे पकड़ लिया तथा मार डाला ।वीर बल्लाल के राज्य में हरिहर तथा बुक्क नामक दो भाई थे , जो होयसल वंश के राज्य की रक्षा करते रहे तथा एक प्रान्त के स्वामी ( गवर्नर ) थे।सन 1333ई0 में वीर बल्लाल शासन करता रहा।।उसके बाद उसका पुत्र वल्लप्पा उत्तराधिकारी हुआ।इसको बल्लाल विरूपाक्ष भी कहते है।हरिहर वीर बल्लाल तृतीय का सन 1333ई0 में प्रधान मंत्री था और "महामंडलेश्वर "की पदवी से विभूषित था ।उसके लेखों से ज्ञात होता है कि बल्लाल तृतीय का पुत्र विरुपाक्ष सन 1336 ...