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दास्ताने यदुवंशियों का गौरवशाली ऐतिहासिक दुर्ग तिमनगढ़ (ताहनगढ़) ----

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दास्ताने यदुवंशियों का  गौरवशाली ऐतिहासिक दुर्ग तिमनगढ़ (ताहनगढ़) ---- "अपनी बहुमूल्य सांस्कृतिक एवं कलात्मक धरोहर तथा यदुवंशियों के वीरतापूर्ण गौरवशाली इतिहास का प्रतीक है तिमनगढ़ /ताहनगढ़ दुर्ग "। बयाना से लगभग 23 कि0 मी0 दक्षिण में तथा  करौली के उत्तर -पूर्वी क्षेत्र में एक उन्नत पर्वत शिखर माला (अरावली पर्वत माला) पर मध्यकाल का प्रसिद्ध ऐतिहासिक दुर्ग तिमननगढ़ /ताहनगढ़/त्रिभुवनगढ़ स्थित है ।दुर्गम पर्वतमालाओं से आवृत ,वन संपदा से परिपूर्ण तथा नैसर्गिक सौंदर्य से सुशोभित इस  दुर्भेद्य दुर्ग की अपनी  निराली ही शान और पहिचान है।वीरता और पराक्रम की अनेक घटनाओं के साक्षी इस दुर्ग में प्राचीन काल की भव्य और सजीव प्रतिमाओं के रूप में कला की एक बहुमूल्य धरोहर बिखरी पड़ी है जिसके कारण इसे राजस्थान का खजुराहो कहा जाय तो कोई अत्युक्ति न होगी । पान की खेती के लिए प्रसिद्ध मांसलपुर से उत्तर दिशा में स्थित यह प्रसिद्ध पर्यटक स्थल सागर के निकट की पहाड़ी पर बना तिमनगढ़ 8 किलोमीटर की लंम्बाई -चौड़ाई में समुद्रतल से 1308 फ़ीट ऊंचाई पर स्थित है।किसी समय इस दुर्ग में एक छोटा किन्तु समृद्ध न

एक स्वर्णिम झलक जादोंवाटी : ब्रजभूमि का राज्य करौली ------

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एक स्वर्णिम झलक  जादोंवाटी : ब्रजभूमि का  राज्य करौली ------------ यदुकुल वंश प्रवर्तक महाराज वज्रनाभ एवं महाराजा जियेन्द्रपाल मथुरा -------- यदुकुल शिरोमणि भगवान श्री कृष्ण वासुदेव मथुरा से द्वारिका पुरी गये।श्रीकृष्ण जी के पुत्र प्रधुम्न जी के पुत्र अनुरुद्ध जी सभी द्वारिका में रहे।अनिरुद्ध जी  के पुत्र यदुकुल वंश प्रवर्तक  महाराज श्री वज्रनाभ जी  द्वारिका से पुनः मथुरा नगरी के राजा बने ।महाराज बज्रनाभ जी के 74 पीढ़ी बाद ई0 800 के लगभग मथुरा के राजा धर्मपाल हुए । राजा धर्मपाल के नाम के साथ ही "पाल "उपनाम जादों क्षत्रियों के साथ लिखा मिला है।राजा धर्मपाल जी बाद ई0 879 में इच्छापाल मथुरा के शासक हुए ।इनके 2 पुत्र ब्रहमपाल जो मथुरा के शासक हुए दूसरे पुत्र विनय पाल महुवे के शासक हुए जिनके वंशज "बनाफर"कहलाये।ब्रहमपाल की मृत्यु के बाद उनके बेटे जायेंद्रपाल ई0 966 में मथुरा के शासक हुए ।इनके11 पुत्र हुए।इनकी मृत्यु संवत 1049 में मथुरा में हुई।इनके 11 पुत्रों में विजयपाल सबसे बड़े थे जो यवन काल में मथुरा छोड़ कर बयाना अपनी राजधानी ले आये । महाराजा विजयपाल मथुरा से व