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Showing posts from February, 2021

विस्मृत चन्द्रवंशीय यदुवंशी क्षत्रियों के शौर्यता वीरता , हिंदुत्व-प्रेम एवं राष्ट्रवादिता के प्रतीक विजयनगर नगर साम्राज्य की गौरव -गाथा--

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विस्मृत चन्द्रवंशीय यदुवंशी क्षत्रियों के शौर्यता वीरता , हिंदुत्व-प्रेम एवं राष्ट्रवादिता के प्रतीक  विजयनगर नगर साम्राज्य की गौरव -गाथा-- चौदहवी  शताब्दी  के मध्य में तुंगभद्रा से लेकर रामेश्वर तक यदुवंश की शाखा होयसल वंश की तूती बोल रही थी ।सम्राट वीर बल्लाल तृतीय ने समस्त दक्षिण पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था ।केवल नाम के लिए मुसलमान जनता मालाबार (तामिल देश ) में निवास करती थी।इब्नबतूता ने सन 1342 ई0 में बल्लाल तृतीय की शक्ति को देखा था , परन्तु इस प्रतापी राजा के मदुरा युद्ध में विजयी होने पर भी धोखे से मुसलमानी सेना ने इसे पकड़ लिया तथा मार डाला ।वीर बल्लाल के राज्य में हरिहर तथा बुक्क नामक दो भाई थे , जो होयसल वंश के राज्य की रक्षा करते रहे तथा एक प्रान्त के स्वामी ( गवर्नर ) थे।सन 1333ई0 में वीर बल्लाल शासन करता रहा।।उसके बाद उसका पुत्र वल्लप्पा उत्तराधिकारी हुआ।इसको बल्लाल विरूपाक्ष भी कहते है।हरिहर वीर बल्लाल तृतीय का सन 1333ई0 में प्रधान मंत्री था और "महामंडलेश्वर "की पदवी से विभूषित था ।उसके लेखों से ज्ञात होता है कि बल्लाल तृतीय का पुत्र विरुपाक्ष सन 1336 ई0 म

एक स्वर्णिम झलक जादोंवाटी:ब्रजभूमि का राज्य करौली --

एक स्वर्णिम झलक  जादोंवाटी : ब्रजभूमि का  राज्य करौली ------------ यदुकुल वंश प्रवर्तक महाराज वज्रनाभ एवं महाराजा जियेन्द्रपाल मथुरा -------- यदुकुल शिरोमणि भगवान श्री कृष्ण वासुदेव मथुरा से द्वारिका पुरी गये।श्रीकृष्ण जी के पुत्र प्रधुम्न जी के पुत्र अनुरुद्ध जी सभी द्वारिका में रहे।अनिरुद्ध जी  के पुत्र यदुकुल वंश प्रवर्तक  महाराज श्री वज्रनाभ जी  द्वारिका से पुनः मथुरा नगरी के राजा बने ।महाराज बज्रनाभ जी के 74 पीढ़ी बाद ई0 800 के लगभग मथुरा के राजा धर्मपाल हुए । राजा धर्मपाल के नाम के साथ ही "पाल "उपनाम जादों क्षत्रियों के साथ लिखा मिला है।राजा धर्मपाल जी बाद ई0 879 में इच्छापाल मथुरा के शासक हुए ।इनके 2 पुत्र ब्रहमपाल जो मथुरा के शासक हुए दूसरे पुत्र विनय पाल महुवे के शासक हुए जिनके वंशज "बनाफर"कहलाये।ब्रहमपाल की मृत्यु के बाद उनके बेटे जायेंद्रपाल ई0 966 में मथुरा के शासक हुए ।इनके11 पुत्र हुए।इनकी मृत्यु संवत 1049 में मथुरा में हुई।इनके 11 पुत्रों में विजयपाल सबसे बड़े थे जो यवन काल में मथुरा छोड़ कर बयाना अपनी राजधानी ले आये । महाराजा विजयपाल मथुरा से

चन्द्रवंशीय जाधव (पौराणिक यादवा /यदुवंशी )राजपूतों के राज्य देवगिरि का ऐतिहासिक अध्ययन--

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चन्द्रवंशीय जाधव (पौराणिक यादवा /यदुवंशी ) राजपूतों के राज्य देवगिरि (दौलताबाद )का ऐतिहासिक अध्ययन--- "यहां ये उल्लेखित करना आवश्यक है कि भारतीय एवं विदेशी इतिहासकारों ने " यादवा " शब्द को संस्कृति भाषा का शब्द लिखा है जिसका हिन्दी में अर्थ " जादव " है।ब्रज भाषा में" य" वर्ण का उच्चारण "ज" बोला जाता है हिन्दी साहित्य का अध्ययन के अध्ययन करने पर पाया गया कि " यादवा या यादव " शब्द का अपभ्रंशरूप 16 वीं - 17 वीं शताब्दी के भक्ति काल में  दिखाई देता है। कुछ विद्वानों के अनुसार "यादव" संस्कृति का शब्द है जिसका  हिंदी  "जादव " है जिससे "जादों " हुआ ।भक्ति रचनाओं में तुलसीदास एवं सूरदास  ने अपने श्रेष्ठ रचनाओं जैसे रामायण ,सूरसागर ,आदि में जदुवंश ,जादों ,जदुपति ,जादवपति ,जादोंराय आदि शब्दों का प्रयोग बहुतायत से किया है । तुलसीदास जी ने रामायण में कुछ इस प्रकार लिखा है---          जब जदुबंस कृष्न  अवतारा।            होइहि हरन महा महिभारा।।         कृष्न तनय होइहि पति तोरा ।। .         बचनु अन्यथा होइ न

The Yaduvansi:,Lunar Race Kshatriya's (Rajput ) Clans of Deccan --

The Yaduvansis : Lunar Race Kshatriya's (Rajput) Clans of Deccan ---- The Yadavas claimed to belong to the family to which the epic hero Krishna belonged , and literature and inscriptions contain elaborate account of their genealogy.Within historical times two of their ruling families , one in Seuna-desa , i.e .The country around Devagiri or Daulatabad , and the other , better known as Hoysalas , at Dorasamudra (modern Halebid )in Mysore.Both these families were feudatories to the Rashtrakutas and Western Chalukyas , and first came into prominence about 10th century A.D.The southern family became very powerful as the beginning of the 12th century A.D., and Vishnuvardhana even invaded the Chalukya territory with a view to establish his suzerainty in the Deccan.His attempts were ,however , foiled by the Chalukya kings as noted above .The northern family was equally ambitious and more successful . Bhillama ( 1185-1193A.D.)-- Bhillama defeated of the Kalachuris and the Western Cha

History of Lunar race Yaduvansi Kshatriya's (Jadhavas )of Devagiri (modern Daulatabad )--

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Histoty of Lunar race Yaduvanshi Kshatriya's (Jadhavas ) of Devagiri  (  modern Daulatabad ) ---- *The Jadhavas of Devagiri (modern Daulatabad ) are descents of Vajranabh's  grandson Subahu (great-great grandson of Shri Krishna ) . **Subahu's son Dridhaprahara migrated from Mathura and settled in Deccan .He obtained the southern part of the Subahu's kingdom. *** The Yaduvnshi Kshatriya's(modern Jadhavas )  of Devagiri belong  to the same branch of yaduvnsha like Jadons (puranic Yadavas  ) of Karauli family. Name and Origin of the Dynasty ------ The Yadavas of Devagiri , popularly so called  ,are known to history as the ruler of the Sevuna dynasty .The former  name (Yadavas )  of this dynasty was brought into use by Fleet work who wrote an account of this dynasty in his work Dynasties of the Kanarese Districts of the Bombay Presidency in 1882 A.D × .From that time , it became current and remained so till very recently .But a historical survey of the contemporar