मध्यकाल में यदुवंशी जादों क्षत्रियों के पुरातन राज्य--
मध्यकाल में यदुवंशी क्षत्रियों (जादों) के राज्य--
1-महावन का यदुवंशी राज्य--
हिमालय की तराई के जंगलों से होती हुई महमूद गजनवी की तुर्क सेनाओं ने यमुना नदी को भी पार कर लिया।अब वे दक्षिण की ओर अग्रसर हुई , और मथुरा के क्षेत्र में स्थित महावन नगर को उन्होंने संवत 1074 ई0सन 1018 में आक्रान्त कर लिया।यह प्रदेश यदुवंशी क्षत्रियों के शासन में था, और इस समय वहां का राजा कुलचन्द था।उसने वीरतापूर्वक महमूद का सामना किया , पर तुर्कों की गति को अवरुद्ध करने में उसे भी सफलता प्राप्त नहीं हुई ।उस युद्ध में कुलचन्द की मृत्यु हुई और उसका विशाल सैन्य दल एवं राज्य नष्ट हो गया ।
महावन को जीत कर महमूद ने मथुरा पर आक्रमण किया ।यह नगरी उस समय भी हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण केन्द्र थी।बीस दिन तक तुर्क सेनाएं मथुरा को लुटती रही।वहां के मंदिरों का उन्होंने बुरी तरह से विनाश किया , और उनके सोना -चाँदी आदि को लूट कर गजनी ले जाया गया ।मथुरा का प्रदेश इस काल में सम्भवतः दिल्ली के तोमर राजाओं के राज्य क्षेत्र में था , पर वे न थानेसर की तुर्कों से रक्षा कर सके थे और न मथुरा की।मथुरा को हस्तगत कर महमूद ने पूरब में कन्नौज की ओर प्रस्थान किया।
जो यादव उस महावन के भीषण विनाश के बाद भी बचे , उन्होंने मथुरा से हटकर श्रीपथ (वर्तमान बयाना ) में एक विजयपाल के नेतृत्व में एक नए यादव राज्य की स्थापना की।विजयपाल सम्भवतः कुलचन्द का भाई-बन्धु ही था ।
2-श्रीपथ (बयाना)का यदुवंशी राज्य---
भरतपुर और मथुरा के क्षेत्र में एक अन्य राज्य की सत्ता थी , जिसके राजा यदुवंश के थे।इस राज्य की राजधानी श्रीपथ नगरी थी , जिसे वर्तमान समय में बयान या बयाना सूचित करता है।इस राज्य के यदुवंशी राजाओं के भी अनेक अभिलेख उपलब्ध है , और भाटों के गीतों द्वारा भी इनके राजाओं के नाम ज्ञात होते है , जिनमें राजा धर्मपाल , जयेन्द्रपाल , विजयपाल , तिमनपाल , कुंवरपाल , अजयपाल , सोहनपाल , महिपाल आदि प्रमुख हैं ।गुर्जर-प्रतिहार साम्राज्य के उत्कर्ष काल में ये राजा कन्नौज के सामन्त थे, पर उनकी शक्ति के क्षीण होने पर स्वतंत्रतापूर्वक शासन करने लग गये थे।दिल्ली पर अपना अधिकार स्थापित कर शहाबुद्दीन गौरी ने जब दक्षिण की ओर चढ़ाई की , तो उसने सन 1196 ई0 में श्रीपथ के इस यदुवंशी राज्य को भी जीत लिया।उस समय वहां का राजा कुंवरपाल था।पर यदुवंशी राजा इसके बाद भी श्रीपथ में शासन करते रहे।उनके स्वतंत्र राज्य का अंतिम रूप में अन्त तेरहवीं सदी के अन्तिम भाग में हुआ था।
यादवों का परवर्ती नाम "जादों ठाकुर" हुआ , जिनकी अधिकांश संख्या राजपूताने के तत्कालीन बयाना , तिमनगढ़ तथा आधुनिक करौली क्षेत्र में थी जो बाद में पुनः तुर्कों एवं मुगलों के आक्रमणों की बजह से बयाना के राजा विजयपाल के समय से( ई0 सन 1046) लेकर तिमनगढ़ के अंतिम शासक रहे कुंवरपाल के समय( ई0 सन 1196)तक तथा बाद के समय में भी कबीलों के रूप में पलायन करते रहे और पुनः अपने पौराणिक ब्रज क्षेत्र मथुरा मण्डल के आस -पास के क्षेत्रों में तथा मध्यदेश के विभिन्न क्षेत्रों में जहां पर भी उपर्युक्त स्थान मिला स्थापित हो गये ।
संदर्भ--
1-गज़ेटियर ऑफ करौली स्टेट -पेरी -पौलेट ,1874ई0
2-करौली का इतिहास -लेखक महावीर प्रसाद शर्मा
3-करौली पोथी जगा स्वर्गीय कुलभान सिंह जी अकोलपुरा
4-राजपूताने का इतिहास -लेखक जगदीश सिंह गहलोत
5-राजपुताना का यदुवंशी राज्य करौली -लेखक ठाकुर तेजभान सिंह यदुवंशी
6-करौली राज्य का इतिहास -लेखक दामोदर लाल गर्ग
7-यदुवंश का इतिहास -लेखक महावीर सिंह यदुवंशी
8-अध्यात्मक ,पुरातत्व एवं प्रकृति की रंगोली करौली -जिला करौली
9-करौली जिले का सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक अध्ययन-लेखक डा0 मोहन लाल गुप्ता
10-वीर-विनोद -लेखक स्यामलदास
11-गज़ेटियर ऑफ ईस्टर्न राजपुताना (भरतपुर ,धौलपुर एवं
करौली )स्टेट्स -ड्रेक ब्रोचमन एच0 ई0 ,190
12-सल्तनत काल में हिन्दू-प्रतिरोध -लेखक अशोक कुमार सिंह
13-राजस्थान के प्रमुख दुर्ग -लेखक रतन लाल मिश्र
14-यदुवंश -गंगा सिंह
15-राजस्थान के प्रमुख दुर्ग-डा0 राघवेंद्र सिंह मनोहर
16-तिमनगढ़-दुर्ग ,कला एवं सांस्कृतिक अध्ययन-रामजी लाल कोली
17-भारत के दुर्ग-पंडित छोटे लाल शर्मा
18-राजस्थान के प्राचीन दुर्ग-डा0 मोहन लाल गुप्ता
19-बयाना ऐतिहासिक सर्वेक्षण -दामोदर लाल गर्ग
20-ऐसीइन्ट सिटीज एन्ड टाउन इन राजस्थान-के0 .सी0 जैन
21-बयाना-ऐ कांसेप्ट ऑफ हिस्टोरिकल ।
-भारत का इतिहास 22- भारत का इतिहास (600-1200ई0)--लेखक सत्यकेतु विद्यालंकार , पृष्ठ 209
लेखक -डॉ0 धीरेन्द्र सिंह जादौन
गांव-लाढोता ,सासनी
जिला-हाथरस ,उत्तरप्रदेश
एसोसिएट प्रोफेसर ,कृषि मृदा विज्ञान
शहीद कैप्टन रिपुदमन सिंह राजकीय महाविद्यालय ,सवाईमाधोपुर ,राज
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